ग़ज़ल] नागफ़नी आँखों में पाली तब जाना !
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नागफ़नी आँखों में पाली तब जाना ;
दुखते दिल के क्या हैं मानी ? तब जाना !
मूरख मन जब हर किस्से से ऊब गया ;
क्या होती है प्रेम-कहानी तब जाना !
खेल नहीं है रोकर मन बहलाना भी
सर से ऊँचा हुआ जो पानी तब जाना !
किस दुनिया में पहुँच गई है बालकथा ?
लुप्त हुए सब राजा-रानी तब जाना !
मन से चैन, नयन से निदिया, दूर हुई ;
अपने दिल की कारस्तानी, तब जाना !
मेरा होकर धड्का उसकी खातिर वो ;
अपने दिल की नाफ़र्मानी, तब जाना !
दुश्मन से ये कैसा रिश्ता है मेरा ;
दिल ने बढ्कर की अगवानी, तब जाना !
उम्र ढली तो, गाड़ी बंगला कब भाए;
भूख थीं सारी ये जिस्मानी, तब जाना !
मुझ जैसा भी अदवी दुनिया में पहुँचा ;
वो है कितना ओघडदानी तब जाना !
डा० अजय जनमेजय {बिजनोर}
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नागफ़नी आँखों में पाली तब जाना ;
दुखते दिल के क्या हैं मानी ? तब जाना !
मूरख मन जब हर किस्से से ऊब गया ;
क्या होती है प्रेम-कहानी तब जाना !
खेल नहीं है रोकर मन बहलाना भी
सर से ऊँचा हुआ जो पानी तब जाना !
किस दुनिया में पहुँच गई है बालकथा ?
लुप्त हुए सब राजा-रानी तब जाना !
मन से चैन, नयन से निदिया, दूर हुई ;
अपने दिल की कारस्तानी, तब जाना !
मेरा होकर धड्का उसकी खातिर वो ;
अपने दिल की नाफ़र्मानी, तब जाना !
दुश्मन से ये कैसा रिश्ता है मेरा ;
दिल ने बढ्कर की अगवानी, तब जाना !
उम्र ढली तो, गाड़ी बंगला कब भाए;
भूख थीं सारी ये जिस्मानी, तब जाना !
मुझ जैसा भी अदवी दुनिया में पहुँचा ;
वो है कितना ओघडदानी तब जाना !
डा० अजय जनमेजय {बिजनोर}